संख्याः फा. 14/11/98-एल.ए.एस./186.- राष्ट्रपति की दिनांक 21-5-1999 को मिली अनुमति कं पश्चात् दिल्ली विधान सभा द्वारा पारित निम्नलिखित अधिनियम जनसाधारण के सूचनार्थ प्रकाशित किया जा रहा है।
दिल्ली कृषि उपज विपणन (विनियमन) अधिनियम, 1998
(दिल्ली अधिनियम संख्या 7, 1999)
एक
अधिनियम
कृषि उपज-विपणन के बेहतर नियमन तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में दिल्ली में कृषि उपज के लिए बाजार स्थापित करने तथा इससे संबंधित मामलों अथवा अनुवगिक विषयों की समुचित व्यवस्था के लिए एक अधिनियम|
भारत गणराज्य के 49वें वर्ष में दिल्ली विधानसभा द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:
अध्याय 1
प्रारंभिक
1. संक्षिप्त नाम, विस्तार तथा प्रारंभ – (1) यह अधिनियम दिल्ली कृषि उपज विपणन (विनियमन) अधिनियम, 1998 कहा जायेगा|
(2) इसका विस्तार सारे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में होगा|
(3) यह सरकार द्वारा अधिसूचना द्वारा तय की गई तारीख से लागू होगा|
2- परिभाषाएं - इस अधिनियम में, जब तक की संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित ना हो:-
(क) “कृषि उत्पादन” से अभिप्राय है – कृषि, बागवानी, मधुमक्खी पालन, अंगूर की खेती (दक्षा संवर्धन), मछली पालन, रेशम-कीड़े पालन, पशुपालन, उन तथा पशुओं की खालें तथा वन्य उत्पाद, जोकि अनुसूची में उल्लेखित हैं तथा ऐसे अन्य उत्पाद जिन्हें सरकार अधिसूचना द्वारा घोषित करें और जिसमें ऐसे दो या अधिक उत्पादों का सम्मिश्रण भी शामिल हो और ये सभी उत्पाद तथा वस्तुएं चाहे संशोधित हो अथवा गैर-संशोधित|
(ख) “किसान” से अभिप्राय है दिल्ली में रह रहे उस व्यक्ति से है जो सामान्यत अपने श्रम अथवा अपने परिवार के किसी सदस्य के श्रम से अपने किराएदारों अथवा नौकरों के श्रम से या भाडे के श्रम अथवा अन्य किसी प्रकार से कृषि उपज के उत्पादन अथवा संवर्धन, जोकि संसाधित नहीं किया गया है, में लगा है, लेकिन व्यापारी, कमीशन एजेंट, संसाधित करने वाला या आढती अथवा व्यापारी-फर्म का हिस्सेदार या औद्योगिक फर्म इसमें शामिल नहीं है, केवल उस व्यापारी, कमीशन एजेंट, संसाधित करने वाले या आढती अथवा हिस्सेदार को छोड़कर जोकि कृषि उपज के उत्पादन अथवा संवर्धन में लगा हुआ हो|
(ग) “परिषद” से अभिप्राय धारा 5 के अंतर्गत गठित दिल्ली कृषि विपणन परिषद से है|
(घ) “दलाल” से अभिप्राय उस एजेंट से है जो कमीशन, शुल्क या पारिश्रमिक लेकर कृषि उपज के क्रय-विक्रय का सौदा तय करता है लेकिन किसी भी अधिसूचित कृषि उपज को न तो अपने पास रखता है, न आगे भेजता है, न लेकर जाता है और न ही उस खरीद के लिए पैसा देता अथवा लेता है|
(ड) “खरीददार” से अभिप्राय उस व्यक्ति, फर्म, कंपनी या सहकारी समिति अथवा सरकारी निकाय, या सार्वजनिक उपक्रम या सार्वजनिक निकाय से है जो अपने तथा अपने व्यवसाय के लिए या किसी व्यक्ति अथवा एजेंट के लिए बाजार क्षेत्र में अधिसूचित कृषि उपज की खरीद करता है अथवा खरीद के लिए सहमत होता है|
(च) “उप-नियमों” से अभिप्राय धारा 118 के तहत बनाए गए उप-नियमों से है|
(छ) “कमीशन एजेंट” या आढ़तिया से अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो प्राय: स्वयं या अपने नौकरों के माध्यम से बाजार-क्षेत्र में, बिक्रीकर्ता अथवा खरीददार की ओर से, जैसी भी स्थिति हो, अधिसूचित कृषि उपज की खरीद या बिक्री करता है अथवा बिक्री या खरीद के दौरान उसे अपनी देख-रेख में रखता है तथा खरीददार से उसका पैसा लेकर बिक्रीकर्ता को देता है और इसके लिए उत्पाद के क्रय-विक्रय की राशि पर कमीशन के रूप में अपना पारिश्रमिक लेता है|
(ज) “दिल्ली” से अभिप्राय दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से है|
(झ) “निदेशक” से अभिप्राय सरकार द्वारा अधिसूचना द्वारा नियुक्त दिल्ली कृषि विपणन के निदेशक से है|
(ञ) “सरकार” से अभिप्राय उपराज्यपाल से है|
(ट) “उपराज्यपाल” से अभिप्राय संविधान के अनुच्छेद 239 कक के साथ पठित अनुच्छेद 239 के तहत राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी के उपराज्यपाल से है|
(ठ) “स्थानीय प्राधिकरण” से अभिप्राय क्षेत्रीय सीमाओं के संबंध में ........
(i) दिल्ली नगर निगम
(ii) नई दिल्ली नगर परिषद तथा
(iii) दिल्ली छावनी बोर्ड से है|
यहां यह स्पष्ट किया जाता है की इस अधिनियम, 1957 के तहत गठित दिल्ली विकास प्राधिकरण तथा इस अधिनियम के तहत गठित परिषद तथा विपणन समिति को स्थानीय प्राधिकरण समझा जाएगा|
(ड) “बाजार” से अभिप्राय, इस अधिनियम के तहत किसी बाजार-क्षेत्र के लिए स्थापित विनियमित बाजार से है और इसमें धारा 26 के तहत स्थापित राष्ट्रीय महत्व का बाजार और धारा 23 के तहत स्थापित मुख्य तथा गौण बाजार भी शामिल है|
(ढ) “बाजार क्षेत्र” से अभिप्राय धारा 4 के तहत घोषित बाजार-क्षेत्र से है|
(ण) “बाजार-प्रभार” में कमीशन, दलाली, तोल-माप, पल्लेदारी (चढ़ाई, उतराई तथा ले जाना) सफाई, सुखाई, घिनाई, सिलाई, ढेर लगाने, बोरियों पर मोहर लगाने, बोरी भरने, भंडार में रखने, ग्रेड बनाने, जांच करने एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने तथा संसाधित करने से संबंधित प्रभार शामिल है|
(त) “विपणन समिति” से अभिप्राय इस अधिनियम के तहत किसी बाजार क्षेत्र के लिए गठित समिति से है|
(थ) “विपणन” से अभिप्राय अधिसूचित कृषि उत्पादन की खरीद तथा बिक्री से है, जिसमें ग्रेड बनाना, पैकिंग करना, मानकीकरण करना संसाधित करना, भंडारण, शीत-भंडारण, वेयर हाउस करने, एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना, आयात वितरण तथा कृषि उत्पाद की खरीद अथवा बिक्री से संबंधित अन्य कोई कार्य भी शामिल है और मोटे तौर पर फसल कटाई से लेकर उपभोक्ताओं तक उपज पहुंचने के बिंदुओं पर कृषि उत्पादों के चलन से संबद्ध सभी प्रकार की गतिविधियां|
(द) “बाजार में काम करने वाले” से अभिप्राय सौदाकर्ता, दलाल, कमीशन एजेंट, खरीददार, पल्लेदार संसाधित करने वाले, भंडार करने वाले, व्यापारी तोलने वाला तथा अन्य ऐसे व्यक्ति से है जो उप-नियम के तहत अधिसूचना द्वारा बाजार में काम करने वाला घोषित किया जाए|
(ध) “विपणन सेवा” से अभिप्राय धारा 75 के तहत गठित कृषि विपणन सेवा से है|
(न) “अधिसूचना” से अभिप्राय सरकारी राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना से है|
(प) “अधिसूचित कृषि उत्पादन” से अभिप्राय धारा 4 के तहत अधिसूचित कृषि उत्पाद से है|
(फ) “सरकारी गजट” से अभिप्राय दिल्ली गजट से है|
(ब) “विहित” से अभिप्राय इस अधिनियम के तहत नियमों द्वारा विहित से है|
(भ) “संसाधित करना” से अभिप्राय चूरा बनाना, पीसना, छिलका उतारना, भूसी निकालना, हल्का उबालना, पॉलिश करना, ओटाई करना, पेरना, अथवा अन्य किसी शारीरिक, यांत्रिक, रासायनिक अथवा भौतिक प्रक्रिया जिसके द्वारा कच्चा कृषि उत्पादन संसाधित किया जाता है, में से किसी एक अथवा एक से अधिक प्रक्रियाओं से है|
(म) “संसाधित करने वाले” से अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो किसी अधिसूचित कृषि उत्पादन का स्वयं अथवा प्रभार देकर संसाधन करता है|
(य) “खुदरा बिक्री” से, किसी अधिसूचित कृषि उत्पादन के संबंध में अभिप्राय उत्पाद की उस सीमा तक बिक्री से है जिसे विपणन समिति, उप नियमों द्वारा खुदरा बिक्री के रूप में तय करें|
(र) “नियमों” से अभिप्राय इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों से है|
(ल) “अनुसूची” से अभिप्राय इस अधिनियम की अनुसूची से है|
(व) “सचिव” से अभिप्राय विपणन समिति के सचिव से है|
(श) “धारा” से अभिप्राय इस अधिनियम की धारा से है|
(ष) “विक्रेता” से अभिप्राय उसे व्यक्ति से है जो किसी अधिसूचित कृषि उत्पाद को बेचता अथवा बेचने को सहमत होता है| तथा इसमें वह व्यक्ति भी शामिल है जो एजेंट अथवा नौकर या कमीशन एजेंट के रूप में किसी दूसरे व्यक्ति की ओर से बिक्री करता है|
(स) “जाँचकर्ता” (सर्वेयर) से अभिप्राय उस व्यक्ति से है, जो अधिसूचित कृषि उत्पाद के किसी बाजार क्षेत्र अथवा बाजार में बिक्री के लिए आने पर गुणवत्ता, उसकी प्रतिरक्षण, मिलावट तथा ऐसे अन्य कारकों की दृष्टि से उसकी जांच करता है|
(ह) “व्यापारी” से अभिप्राय उस व्यक्ति से है जो सामान्यत: किसी अधिसूचित कृषि उत्पादन का स्वयं अथवा प्राधिकृत एजेंट के रूप में खरीद अथवा बिक्री भंडारण या संसाधित करने का कारोबार करता है|
(2) यदि यह प्रश्न उठता है कि इस अधिनियम के उद्देश्य के लिए कोई व्यक्ति किसान है अथवा नहीं है तो ऐसा मामला निदेशक के पास भेज दिया जाएगा और इस बारे में उनका निर्णय अंतिम होगा|