अध्याय 5
राष्ट्रीय महत्व की मंडियां
25. परिभाषा - जब तक की संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो इस अध्याय में :
(क) “मंडी से अभिप्राय” राष्ट्रीय महत्व की मण्डियों से है और
(ख) “विपणन समिति” से अभिप्राय राष्ट्रीय महत्व की कोई विपणन समिति से है|
26. राष्ट्रीय महत्व के बाजारों और उनकी विपणन समितियों की स्थापना – (1) इस अधिनियम में अन्तविर्ष्ट किसी बात के होते हुए भी सरकार इस बात से संतुष्ट है कि किसी क्षेत्र में किसी वस्तु के राष्ट्रीय महत्व की दृष्टि से उसके प्रभावी विपणन का विनियमन सुनिश्चित करना समायोजित है तो यह स्थापित कर सकेगा&
(क) ऐसे क्षेत्र में विशेष मंडियां स्थापित कर सकती है जिन्हें उस वस्तु के लिए “राष्ट्रीय महत्व की मंडी” के रूप में जाना जाएगा है|
(ख) स्वतंत्र विपणन समितियां बना सकती है जिन्हें “राष्ट्रीय महत्व के बाजारों की विपणन समितियां” के रूप में जाना जाएगा भले ही वह क्षेत्र किसी अन्य विपणन समिति अथवा उस क्षेत्र में पहले से ही कार्यरत समिति की क्षेत्र- सीमा में आता है|
(2) कारोबार, उपभोक्ताओं की संख्या, कीमत-निर्धारण में राष्ट्रीय स्तर पर विचार करने के बाद सरकार किसी क्षेत्र को विशेष बाजार क्षेत्र घोषित कर सकती है जिसे “राष्ट्रीय महत्व के बाजार” के रूप में जाना जाएगा परंतु इस प्रकार का कोई बाजार स्थापित नहीं किया जाएगा|
(क) यदि इसमें प्रतिवर्ष कारोबार एक लाख टन उत्पाद से कम है;
(ख) यदि इसमें कुल उत्पाद-कारोबार का तीस प्रतिशत से कम है जो दो या अधिक राज्यों अथवा संघ शासित क्षेत्रों में आता है; अथवा
(ग) यदि बाजार उपधारा (1) में उल्ललिखित वस्तु की कीमत को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावित नहीं करता है|
27. राष्ट्रीय महत्व के बाजार की विपणन समिति का गठन - धारा 26 की उप धारा (1) के तहत गठित प्रत्येक विपणन समिति में निम्नलिखित सदस्य होंगे:-
(क) सरकार द्वारा नामित तीन सदस्य जो दिल्ली में रह रहे किसानों में से होंगे|
(ख) निर्धारित तरीके से निर्वाचित तीन सदस्य ऐसे व्यापारियों या कमीशन एजेंटों में से होंगे जिनके पास दिल्ली में किसी भी विपणन समिति का लाइसेंस होगा, लेकिन कम से कम दो सदस्य उन व्यापारियों में से होंगे जिनके पास धारा 26 की धारा उपधारा (1) के तहत गठित विपणन समिति का लाइसेंस होगा|
(ग) सरकार द्वारा नामित परिषद का एक सदस्य|
(घ) निदेशक अथवा उनका नामित व्यक्ति (पदेन-सदस्य)|
(ङ) दूसरों राज्यों अथवा संघ शासित क्षेत्र के तीन प्रतिनिधि जो कि राज्य सरकार अथवा संघ शासित क्षेत्र के प्रशासक जैसी भी स्थिति हो, से विचार विमर्श करके सरकार द्वारा नामित किए जाएंगे;
लेकिन यह प्रतिनिधि उन क्षेत्रों के “किसान” हो जहां से धारा 26 की उपधारा (1) में उल्ललिखित वस्तु प्राप्त होती है|
(च) विपणन समिति के सचिव (पदेन)|
(छ) भारत सरकार के कृषि विपणन सलाहकार का एक प्रतिनिधि|
28. विपणन समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष - विपणन समिति के सदस्यों में से सरकार द्वारा नामित इसके अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होंगे|
29. सदस्यों का कार्यकाल - सदस्य पांच वर्ष तक अपने पद पर बने रहेंगे| अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष सरकार की इच्छा पर्यंत अपने पदों पर बने रहेंगे|
30. विपणन समिति के बैठक - धारा 26 की उपधारा (1) के तहत गठित विपणन समिति की बैठक कम से कम दो कैलेंडर माह में एक बार होगी|
31. राष्ट्रीय स्तर के बाजारों की कार्यकारिणी और इसका गठन – (1) विपणन समिति की एक कार्यकारणी होगी|
(2) उपधारा (1) में उल्लिखित कार्यकारिणी का गठन निम्न प्रकार से होगा:-
(1) विपणन समिति के अध्यक्ष|
(2) सरकार द्वारा नामित दो प्रतिनिधि जिनमें से एक विपणन समिति का लाइसेंसधारी व्यापारी या कमीशन एजेंट होगा तथा दूसरा किसानों का प्रतिनिधि होगा|
(3) सरकार द्वारा नामित परिषद का एक सदस्य|
(4) निदेशक अथवा उसका नामिक व्यक्ति|
(5) उस राज्य अथवा संघ शासित क्षेत्र का एक प्रतिनिधि जहां से कृषि उत्पाद दिल्ली में आता है, राज्य सरकार अथवा केंद्र शासित क्षेत्र के प्रशासक जैसी भी स्थिति हो के साथ विचार-विमर्श से सरकार द्वारा नामित किया जाएगा|
(6) धारा 27 के तहत गठित की गई समिति के सचिव, सदस्य-सचिव के रूप में कार्य करेंगे|
(3) आपातकालीन स्थितियों में समिति की कार्यकारिणी उन मुद्दों पर निर्णय ले सकेंगी जिनके लिए विपणन समिति का अनुमोदन अपेक्षित है| परंतु इस प्रकार के निर्णय जिस तारीख को लिए गए हैं उससे पैतालिश दिन के अंदर-2 विपणन समिति द्वारा अनुमोदित कराये जाएंगे| ऐसा न करने अथवा उन्हें अनुमादित न किए जाने की स्थिति में वे निर्णय निरस्त समझ जाएंगे परंतु इस प्रकार से अनुमोदित न किए गए निर्णय का उसे निर्णय के तहत किए गए कार्य की वैधता पर प्रभाव नहीं पड़ेगा;
परंतु यदि विपणन समिति ऐसे निर्णय में कोई संशोधन करती है तो वह निर्णय संशोधन की तारीख से संशोधित रूप से लागू होगा|
32. कार्यकारिणी की बैठकें - कार्यकारिणी की बैठक आवश्यकता अनुसार होगी लेकिन कम से कम महीने में एक बार जरूर होगी|
33. कार्यकारिणी के सदस्यों का कार्यकाल - समिति की कार्यकारिणी के सदस्य सरकार की इच्छा पर्यंत अपने पद पर बने रहेंगे|
34. विपणन समिति के सचिव की नियुक्ति और कार्य – (1) समिति के सचिव की नियुक्ति सरकार द्वारा संघ शासित क्षेत्र सिविल-सेवा के अधिकारियों में से की जाएगी, जो काम से कम दस वर्षों की सेवा कर चुके हों|
(2) धारा 31 में उल्लिखित कार्यकारणी की देख रेख तथा नियंत्रण में पर्येवेक्षण सचिव
(1) प्रशासन संबंधी मामलों में विपणन समिति के अधिकारियों तथा स्टॉफ-सदस्यों पर पर्येवेक्षण तथा नियंत्रण रखेंगे|
(2) जिन मदों के लिए विधिवत स्वीकृति हो चुकी है उन पर विपणन समिति की निधियों से खर्च करेंगे|
(3) आपातकाल में किसी ऐसे कार्य को शुरू करवाएंगे अथवा रुकवायेंगे जिसके लिए परिषद अथवा विपणन समिति का अनुमोदन अपेक्षित है|
(4) इस अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए गए नियमों, विनियमों अथवा उपनियमों के अपबंधों का उल्लंघन करने के लिए मुकदमा चलायेंगे|
(5) मंडी में कार्य करने वालों को लाइसेंस जारी करेंगें|
(6) विपणन समिति का वार्षिक बजट तैयार करेंगें|
(7) विपणन समिति तथा कार्यकारिणी की बैठक बुलाएंगे तथा उन बैठकों की कार्यवाहियों का रिकॉर्ड रखेंगे|
(8) विपणन समिति द्वारा शुरू किए गए विकास अथवा रखरखाव संबंधी कार्यों का निरीक्षण करेंगे तथा निरीक्षण की रिपोर्ट विपणन समिति के अध्यक्ष को भेजेंगे|
(9) विपणन समिति अथवा विपणन समिति के सदस्यों (अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष सहित) के ऐसे कार्यों की रिपोर्ट परिषद के उपाध्यक्ष को करेंगे जो इस अधिनियम तथा इसके तहत बनाए गए नियमों, विनियमों तथा उपनियमों के उपबंधों के प्रतिकूल हो| उपाध्यक्ष वह रिपोर्ट सरकार को करेंगे|
(10) ऐसे कदम उठाएंगे जो विपणन समिति के कार्यों तथा निर्णयों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आवश्यक समझे जाएं|