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अध्याय 3

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अध्याय 3

दिल्ली कृषि विपणन परिषद का गठन और शक्तियां

5. दिल्ली कृषि विपणन परिषद की स्थापना और गठन – (1) इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए सरकार एक परिषद की स्थापना करेगी जिसे दिल्ली कृषि विपणन परिषद के नाम से जाना जाएगा, जिसमें एक अध्यक्ष तथा सरकार द्वारा नामित पंद्रह अन्य सदस्य होंगे जिनमें से सात सरकारी तथा आठ गैर सरकारी सदस्य होंगे| ये सदस्य निम्न प्रकार से होंगे:-

(क) सरकारी सदस्य:-

(1) निदेशक जो कि परिषद के पदेन उपाध्यक्ष होंगे|

(2) दिल्ली सरकार के विकास विभाग के दो प्रतिनिधि जिनमें से एक कृषि विभाग और दूसरा सहकारी विभाग की ओर से होगा|

(3) सरकार के खाद्य-आपूर्ति एवं उपभोक्ता-मामले विभाग का एक प्रतिनिधि जो उपायुक्त पद से कम का ना हो|

(4) दिल्ली विकास प्राधिकरण तथा दिल्ली नगर निगम में से एक-एक प्रतिनिधि जो कि अपने-2 निकायों के योजना विभाग से संबंध होंगे|

(5) भारत सरकार के कृषि विपणन सलाहकार या उनके प्रतिनिधि|

(ख) गैर सरकारी सदस्य:-

(1) दो किसान, जो विपणन समितियों के सदस्य हों|

(2) दो सदस्य, जो किसानों के संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हों|

(3) एक सदस्य, जो धारा 80 के तहत लाइसेंस धारी व्यापारियों तथा कमीशन एजेंटों का प्रतिनिधित्व करता हो, निर्धारित तरीके से निर्वाचित होगा|

(4) एक सदस्य, जो कि कृषि उत्पाद के विपणन में लगी सहकारी समितियों का प्रतिनिधित्व करता हो|

(5) दो सदस्य, जो कि उपभोक्ताओं के हितों का प्रतिनिधित्व करते हों, जिनमें से एक दिल्ली विधानसभा का सदस्य होगा|

(2) उपाध्यक्ष परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे|

6. परिषद का निगमीकरण – परिषद, एक निगमित निकाय होगी जिसका नाम दिल्ली कृषि विपणन परिषद होगा, जो कि नियंत्रण क्रम से चलेगी तथा उसकी एक सामान्य मोहर होगी, संपत्ति प्राप्त करने, रखने तथा उसका निपटान करने आदि के लिए जिसकी शक्तियां अधिनियम के उपबंधों के अनुसार होगी तथा वह उक्त नाम से मुकदमा चल सकेगी तथा उसके विरुद्ध मुकदमा चलाया जा सकेगा|

7. अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सरकारी तथा गैर-सरकारी सदस्यों का कार्यकाल -  अध्यक्ष, उपाध्यक्ष तथा सरकारी सदस्य सरकार की इच्छा पर्यंत अपने पदों पर बने रहेंगे| प्रत्येक गैर-सरकारी सदस्य पांच वर्ष के लिए होगा| तथा पुन: नामित होने का पात्र होगा, परंतु गैर-सरकारी सदस्य तब तक अपने पद पर बना रहेगा जब तक की उसके स्थान पर किसी का नामांकन ना हो जाए और वह अपना कार्यभार ग्रहण  कर ले|

8. सदस्यता के लिए अयोग्यता -  कोई व्यक्ति सदस्य के रूप में नामित किए जाने और सदस्य होने के लिए आरोग्य होगा यदि वह:-

(क) सामान्यता: दिल्ली में नहीं रहता;

(ख) पचीच्स वर्ष से कम आयु का है;

(ग) धारा 50 के तहत किसी विपणन समिति से उसकी सदस्यता समाप्त हो गई है;

(घ) यदि उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है और सक्षम न्यायालय द्वारा इस आशय की घोषणा की गई है;

(ड) अथवा दिवालिया है;

(च) दिल्ली अथवा दिल्ली से बाहर किसी फौजदारी न्यायालय द्वारा ऐसे आपराधिक मामले में दोषी पाया गया है जो सरकार की राय में नैतिक चरित्रहीनता का मामला है; लेकिन दोषी पाए जाने के कारण योगिता दोष मुक्त होने की तारीख से पांच वर्ष की अवधि बीत जाने पर लागू नहीं होगी|

9. अध्यक्ष द्वारा अध्यक्षता – (1) अध्यक्ष और उनकी अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष परिषद की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे|

(2) परिषद की बैठक में उठने वाले सभी प्रश्नों का समाधान, बैठक में उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों द्वारा बहुमत से किया जाएगा| समान मत होने की स्थिति में अध्यक्ष उनकी अनुपस्थिति में, उपाध्यक्ष, जब बैठक की अध्यक्षता कर रहे हों, निर्णायक मताधिकार का प्रयोग करेंगे|

10. परिषद की बैठकों में गणपूर्ति - परिषद की बैठक में गणपूर्ति पाँच सदस्यों से होगी;

परंतु यदि, कोई बैठक गणपूर्ति के अभाव में स्थगित कर दी गई हो तो नियमानुसार आयोजित किए जाने वाली अगली बैठक में उन्हीं कार्यों के निपटारे के लिए गणपूर्ति आवश्यक नहीं होगी|

11. अध्यक्ष तथा सदस्यों का त्यागपत्र – (1) परिषद का अध्यक्ष सरकार को संबोधित कर स्वयं पत्र लिखकर उसे निदेशक को देकर अपने पद से त्यागपत्र दे सकता है|

(2) कोई सदस्य, सरकार को संबोधित कर स्वयं पत्र लिखकर उसे परिषद के अध्यक्ष को देखकर अपने पद से त्यागपत्र दे सकता है|

(3) उपधारा (1) अथवा उपधारा (2) के तहत दिया गया त्यागपत्र सरकार द्वारा स्वीकृत किए जाने की तारीख से प्रभावी होगा|

12. परिषद के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का वेतन, भत्ते तथा अन्य लाभ – (1) परिषद के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष इस बारे में बनाए गए नियमों द्वारा निर्धारित वेतन अथवा भत्ते प्राप्त करने के हकदार होंगे| यदि परिषद के अध्यक्ष गैर-सरकारी अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं तो उनकी परीलब्दियां तथा अन्य लाभ सरकार द्वारा निर्धारित किए जाएंगे|

(2) परिषद के सदस्य, परिषद की बैठकों में भाग लेने अथवा परिषद द्वारा सोंपे गए अन्य किसी कार्य के लिए, इस बारे में बनाए गये नियमों द्वारा निर्धारित भत्ते तथा अन्य लाभ प्राप्त करने के हकदार होंगे|

13. गैर सरकारी सदस्यों का हटाया जाना - सरकार परिषद के किसी गैर-सरकारी सदस्य को सदस्य-पद से हटा सकती है, यदि वह सदस्य धारा 8 में उल्लेखित अयोग्यताओं के अंतर्गत आ जाता है या सरकार की राय में अपने कर्तव्यों का पालन ठीक से नहीं करता अथवा उसने उन हितों का प्रतिनिधित्व करना छोड़ दिया है जिनके लिए उसे नामित किया गया था;

परंतु किसी भी सदस्य को उसके विरुद्ध प्रस्तावित कार्रवाई के लिए स्पष्टीकरण के तौर पर कारण बताने का समुचित अवसर दिये बिना उसके पद से नहीं हटाया जाएगा|

14. कस्मिक रिक्तियों का भरना - कार्य अवधि पूरी हो जाने के अलावा उत्पन्न हुई सदस्य की रिक्ति को सरकार द्वारा नामांकन द्वारा यथाशीघ्र भरा जाएगा| इस प्रकार नियुक्त व्यक्ति संबंध सदस्य की शेष अवधि तक अपने पद पर रहेगा|

15. परिषद के बजट-आकलनों का अनुमोदन – (1) इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार आगामी वर्ष के लिए परिषद की वार्षिक आय तथा व्यय का ब्योरा निर्धारित प्रपत्र में तैयार कर परिषद द्वारा पास किया जाएगा तथा निर्धारित तारीख के अंदर सरकार को अनुमोदन के लिए भेजा जाएगाl

(2) सरकार परिषद के बजट को ज्यों का त्यों अनुमोदित कर सकती है तथा ऐसे संशोधन कर सकती है जैसा वह उचित समझें और इस प्रकार सरकार द्वारा अनुमोदित किया गया बजट परिषद का वार्षिक बजट होगाl

(3) सरकार द्वारा यथा अनुमोदित बजट, प्राप्त होने की तारीख से दो महीने के अंदर-2 परिषद को वापस किया जाएगा और यदि यह दो महीने की निर्धारित अवधि में नहीं लौटाया जाता है तो यह मान दिया जाएगा कि परिषद द्वारा प्रस्तुत बजट सरकार द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है|

16. रिक्तियों का परिषद की कार्यवाही पर प्रभाव न होना - परिषद का कोई कार्य अथवा कार्यवाही मात्र इस कारण से अमान्य नहीं होगी कि इसमें किसी सदस्य की रिक्ति है अथवा उसके गठन में कोई कमी है|

17. परिषद की शक्तियां और कार्य - (1) परिषद, विपणन समितियों पर निगरानी तथा नियंत्रण रखेगी|

(2) सरकार परिषद के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष या परिषद द्वारा इसके लिए प्राधिकृत अन्य कोई कर्मचारी किसी विपणन समिति अथवा उसके किसी व्यापारी, भंडार-कर्ता या बाजार-क्षेत्र में काम करने वाले अन्य किसी व्यक्ति को बुला सकते हैं, कृषि उत्पादन से संबंधित कोई सूचना अथवा ब्यौरा ले सकते हैं और उन्हें विपणन समिति, व्यापारी, भंडारकर्ता या अन्य किसी व्यक्ति के अभिलेख तथा लेखों की जांच करने की शक्ति होगी, तथा उन्हें अधिसूचित कृषि उत्पाद की गाड़ियों और पात्रों आदि के लेखों और रिकॉर्ड को रसीद द्वारा जब्त करने अथवा अपने कब्जे में लेने की शक्ति भी होगीl

(3) परिषद अपने तथा विपणन समितियां द्वारा किए जा रहे कार्यों के लिए परिषद अथवा विपणन समितियां के अधिकारी/अधिकारियों को प्राधिकृत करेगा और निवारक उपाय करेगा l

(4) इन अधिनियम के उपबंधों तथा उसके तहत बनाए गए नियमों तथा विनियमों के अनुसार परिषद अपने कार्य को सुचारू रूप से चलने के लिए उतने व्यक्तियों को नियुक्त कर सकेगी जितने वह उचित समझे| उनकी भर्ती-पद्धति, वेतनमान तथा अन्य सेवा-शर्तें परिषद द्वारा इसके लिए बनाए गए विनियमों के अनुसार होगीl

(5) इस अधिनियम के अपबंधों के तहत परिषद निम्नलिखित कार्य करेगी और उसे इन कार्यों के निष्पादन हेतु अपेक्षित अन्य सभी कार्य करने की शक्ति होगी, जो इन कार्यों के निष्पादन के लिए आवश्यक या कालोचित हैl

(1) विपणन समितियां की कार्यप्रणाली में समन्वय तथा इसके अन्य कार्य में सहयोग करना जिनमें मंडी क्षेत्र में मंडियाँ, लघु मंडियों की जांच चौकियों और अन्य स्थलों के अनुरक्षण के लिए किए गये कार्य भी शामिल हैं|

2) कृषि उत्पादन के लिए बाजारों की योजना और विकास-कार्य करनाl

(3) विपणन विकास निधि की व्यवस्था करनाl

(4) सामान्यता: कृषि विपणन समितियों को निर्देश जारी करना अथवा एक या अधिक समितियों को विशेष रूप से उनमें सुधार करने की दृष्टि से निर्देश देना|

(5) इस अधिनियम द्वारा उसे विशेष रूप से सौपा गया अन्य कोई कार्य|

(6) सरकार द्वारा परिषद को सौंपे गए इसी प्रकार के अन्य कार्य|

(6) पूर्वोक्त उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना परिषद के कार्यों में निम्नलिखित भी शामिल होंगे:-

(क) बाजार स्थापित करने के लिए नए स्थानों के चयन के प्रस्तावों पर विचार करना तथा धारा 22 की उप धारा (2) के उपबंधों के अनुसार प्रमुख तथा लघु मंडियों की स्थापना के लिए निदेशक को संस्तुति करना|

(ख) बाजार तथा बाजार क्षेत्र में रचनात्मक सुविधायें प्रदान करने के प्रस्तावों को अनुमोदित करना|

(ग) बाजार का निर्माण करना अथवा बाजारों के लिए निर्माण की कार्य योजना, डिजाइन तथा आक्लनों को अनुमोदित करना|

(घ) विपणन समिति द्वारा शुरू किये गए अनुरक्षण एवं सुधारात्मक कार्यों के लिए योजनाओं तथा आक्लनों को तैयार करने में मार्गदर्शन करना, पर्यवेक्षण करना तथा अनुमोदन करना|

(ड) मंडी विकास निधि से प्रभारीय सभी कार्यों का कार्यान्वयन|

(च) कृषि उत्पादन को सहकारिता के आधार पर प्रोत्साहित करना|

(छ) निर्धारित विधि के अनुसार लेखों को रखने तथा निर्धारित विधि के अनुसार उनकी लेखा-परीक्षा करना|

(ज) प्रत्येक वित्त वर्ष के अंत में प्रगति रिपोर्ट, तुलन-पत्र तथा परिसंपत्तियों और देयताओं का विवरण तैयार करना तथा उनकी प्रतियाँ परिषद के सभी सदस्यों तथा एक प्रति सरकार को भेजना|

(झ) अधिसूचित कृषि उत्पादों के नियमित-विपणन से संबंधी मामलों के प्रचार- प्रसार के लिए अपेक्षित व्यवस्था करना|

() परिषद तथा विपणन समितियां के अधिकारियों तथा स्टाफ-सदस्यों के लिए प्रशिक्षण की सुविधायें उपलब्ध कराना|

(ट) आगामी वर्ष का बजट तैयार करना तथा स्वीकार करना|

(ठ) विपणन समितियां के बजट अनुमोदित करना|

(ड) परिषद द्वारा यथा निर्धारित शर्तों पर इस अधिनियम के उद्देश्यों के लिए विपणन समितियों को अधिक सहायता अथवा ऋण प्रदान करना|

(ढ) कृषि-विपणन से संबंधित विषयों पर संगोष्ठी अथवा कार्यशालाओं अथवा प्रदर्शनियों की व्यवस्था अथवा आयोजन करना|

(ण) ऐसे अन्य कार्य करना जो विपणन समिति के हित में हो अथवा जो परिषद या विपणन समितियों की सुचारू कार्य प्रणाली के लिए आवश्यक समझे जाए|

(त) विपणन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण या उपलब्ध कराना और जब कभी आवश्यकता हो मंडी समितियों को मंडी सहायता उपलब्ध करना|

18. उपाध्यक्ष के कार्य और शक्तियां - परिषद के उपाध्यक्ष:-

(1) परिषद के मुख्य कार्यपालक के रूप में सभी कार्यों का निष्पादन करेंगे; तथा परिषद के अधिकारियों तथा स्टाफ सदस्यों की नियुक्तियाँ और उन पर पर्येवेक्षण तथा नियंत्रण रखेंगे तथा उन सभी मामलों को जो सेवा विनियमों में यथा उल्लिखित कार्यकारी अथवा प्रशासनिक प्रकृति के हो|

(2) लेखों और अभिलेखों का अनुरक्षण सुनिश्चित करेंगे|

(3) विनियमों में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार कर्मचारियों की सेवा से संबंधित सभी मामलों का निपटारा करेंगे|

(4) विनियमों में उल्लिखित प्रक्रिया के अनुसार परिषद तथा विपणन सेवा के अधिकारियों तथा स्टाफ सदस्यों की नियुक्ति करेंगे|

(5) स्वीकृत कार्यों तथा अन्य मदों पर परिषद द्वारा प्रदत्त शक्तियों के अनुसार विपणन विकास निधि से खर्चा करेंगे|

(6) आपातकाल में किसी कार्य को आरम्भ अथवा रोकने के निर्देश देंगे अथवा ऐसा अन्य कोई भी कार्य कर सकेंगे जिसके लिए परिषद का अनुमोदन अपेक्षित हो|

(7) परिषद का वार्षिक बजट तैयार करेंगे|

(8) परिषद की आंतरिक लेखा-परीक्षा की व्यवस्था करेंगे|

(9) परिषद द्वारा समय-समय पर सौंपे गए अन्य कार्य करेंगे|

(10) परिषद के निर्णय को कार्यान्वित करने के लिए कदम उठायेंगें|

(11) विपणन समितियों द्वारा किए गए कार्यों का निरीक्षण करेंगे तथा उपचारात्मक उपाय करेंगे|

(12) विपणन समितियों के ऐसे कार्यों की सरकार को रिपोर्ट करेंगे जो इस अधिनियम या नियमों, विनियमों तथा उसके तहत बनाए गए उप-नियमों के उपबंधों के विपरीत हो तथा

(13) ऐसे कदम उठायेंगे जो परिषद के प्रभावी कार्य निष्पादन के लिए आवश्यक समझे जाएं|

19. परिषद के सचिव के कार्य - परिषद के सचिव:-

(1) परिषद की बैठकर आयोजित करेंगे|

(2) निर्धारित तरीके से परिषद की बैठकों के कार्यवृत का रिकॉर्ड रखेंगे|

(3) उपाध्यक्ष द्वारा सोपा गया अन्य कोई कार्य|

20. परिषद द्वारा शक्तियों का प्रत्यायोजन - सरकार की पूर्व स्वीकृति से अधिसूचना द्वारा विनियम, नियम वह उपनियम बनाने की शक्ति को छोड़कर, परिषद अपनी शक्तियों में से कोई शक्ति अपने उपाध्यक्ष और अन्य अधिकारियों को प्रत्यायोजित कर सकती है, जो कि इस अधिनियम और उसके तहत बनाए गए नियमों से असंगत ना हो|

21. परिषद के कार्यों को चलाने के लिए विनियम बनाने की शक्तियां - (1) परिषद के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार के पूर्व अनुमोदन से परिषद विनियम बना सकती है| ये विनियम इस अधिनियम तथा उसके तहत बनाए गए नियमों से असंगत नहीं होंगे|

(2) पूर्वोक्त शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ये विनियम निम्नलिखित मामलों में से सभी अथवा उनमें से किसी एक के लिए होंगे:-

(1) परिषद की बैठकें बुलाना और आयोजित करना, ऐसी बैठकों के लिए समय और तारीख तय करना तथा बैठकों की कार्यवाही चलाना;

(2) परिषद तथा विपणन समितियों के अधिकारियों तथा अन्य कर्मचारियों की शक्तियां तथा कर्तव्य;

(3) परिषद तथा विपणन समितियों के अधिकारियों तथा अन्य कर्मचारियों के वेतन और भत्ते, ऋण और अग्रिम तथा अन्य सेवा शर्तें;

(4) दिल्ली कृषि विपणन सेवा के सदस्यों की भर्ती, योग्यता, नियुक्ति, पदोन्नति, वेतनमान, अवकाश, अवकाश-भत्ता, कार्यवाहक-भत्ता, ऋण, पेंशन, उपदान, वार्षिकी, करुणामूलक निधि, भविष्य निधि, निलंबन, बर्खास्तगी, आचरण, विभागीय दंड, अपील तथा अन्य सेवा-शर्तें;

(5) विपणन समिति तथा परिषद की संपत्ति का प्रबंधन;

(6) परिषद की ओर से संपत्ति के करार आदि को लागू करना;

(7) परिषद के लेखों का रख रखाव तथा तुलन-पत्र तैयार करना;

(8) इस अधिनियम के तहत परिषद के कार्य-संचालन की प्रक्रिया;

(9) अन्य कोई मामला जिसके लिए विनियमों में उपबन्ध बनाया जाना अपेक्षित हो|

22. परिषद का विघटन सरकार, परिषद पर निगरानी तथा नियंत्रण रखेगी और इससे वह सभी जानकारी ले सकेगी जो वह आवश्यक समझे और यदि सरकार इस बात से संतुष्ट हो कि परिषद ठीक से काम नहीं कर रही है या इस अधिनियम के द्वारा तथा उसके तहत उसे सौंपे गए कर्तव्यों के निष्पादन में निरंतर गलतियां कर रही है यह अपनी शक्तियों से बाहर कार्य कर रही है अथवा उनका दुरूपयोग कर रही है या वह भ्रष्टाचार अथवा कुप्रबंधन की दोषी है, तो सरकार, कारणों के विवरण सहित आदेश को सरकारी राजपत्र में प्रकाशित परिषद का, नई परिषद का गठन होने तक, विघटन कर सकती है और परिषद के कार्य निष्पादन के लिए ऐसी व्यवस्था कर सकती है जैसी वह उचित समझे|

लेकिन इस प्रकार के विघटन का कोई आदेश तब तक नहीं किया जा सकेगा जब तक की परिषद को उसके विरुद्ध प्रस्ताविक कार्रवाही के विरुद्ध कारण बताने का समुचित अवसर प्रदान न कर दिया जाए|

यह और की परिषद के विघटन की तारीख से छ: महीने के अंदर नई परिषद का गठन कर दिया जाएगा|

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