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अध्याय 4

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अध्याय 4

मण्डियों की स्थापना तथा भूमि का अधिग्रहण

23. बाजारों की स्थापना - अधिसूचित कृषि उत्पादों के विपणन के लिए प्रत्येक मंडी-क्षेत्र के लिए एक या अधिक मुख्य बाजार स्थापित किये जाएंगे और आवश्यक समझे जाने पर एक या अधिक गौण बाजार भी स्थापित किए जाएंगे।

(2) धारा 4 की उपधारा (1) के तहत घोषणा होने के बाद निर्देशक यथाशीघ्र अधिसूचना द्वारा किसी बाजार क्षेत्र में किसी स्थान (जिसमें ढांचा, खुली जगह या स्थान भी शामिल है) को ऐसी अधिसूचना में निर्धारित कृषि उत्पादन के विपणन के लिए मुख्य बाजार बना सकते हैं और उसी अथवा दूसरी अधिसूचना द्वारा किसी बाजार क्षेत्र में ऐसे कृषि उत्पाद के विपणन हेतु एक या अधिक गौण बाजार बना सकते हैं

24. बाजारों के लिए भूमि अधिग्रहण - (1) इस अधिसूचना स्कूल के उद्देश्यों के लिए जब बाजार क्षेत्र में भूमि अपेक्षित हो तथा परिषद करार द्वारा उसके अधिग्रहण में असमर्थ हो तो परिषद के अनुरोध पर उप राज्यपाल, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 (1894 की सं० 1) के उपबंधों के तहत ऐसी भूमि का अधिग्रहण कर सकते हैं जिसके लिए एक अधिनियम के तहत घोषित मुआवजा तथा उपराज्यपाल की ओर से ऐसे अधिग्रहण के लिये देय अन्य प्रभारी का भुगतान परिषद द्वारा किया जाएगा और उसके बाद वह भूमि परिषद अथवा विपणन समिति जैसी भी स्तिथि हो की होगी।

परन्तु परिषद द्वारा एक बार इस तरह का प्रस्ताव किये जाने के बाद वापिस नहीं लिया जाएगा| यह केवल तभी वापस लिया जा सकेगा, जब इसके लिए लिखित कारण बताया जाए और उसे उपराज्यपाल का अनुमोदन प्राप्त हो।

(2) उप धारा (1) के तहत परिषद या मंडी समिति के लिए अधिग्रहीत की गई या जो भूमि परिषद के पास है उसका हस्तांतरण उपराज्यपाल की पूर्व अनुमति के बिना नहीं किया जाएगा और न ही ऐसी भूमि का प्रयोग उस उद्देश्य से भिन्न किसी उद्देश्य के लिए किया जाएगा जिसके लिए वे अधिग्रहीत की गई है।

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