अध्याय 15
विविध
109. परिषद अथवा विपणन समिति के सदस्यों अथवा कर्मचारियों की देयताए – (1) परिषद अथवा विपणन समिति का प्रत्येक सदस्य अथवा कर्मचारी परिषद अथवा विपणन समिति के नुकसान तथा धन अथवा संपत्ति के दूरुपयोग के लिए उत्तरदायी होगा और यदि परिषद इस प्रकार के नुकसान अथवा दुरुपयोग के बारे में इस बात से संतुष्ट हो जाती है कि यह नुकसान या दुरुपयोग किसी सदस्य अथवा कर्मचारियों की लापरवाही से हुआ है तो इसकी सीधी जिम्मेदारी उस सदस्य अथवा कर्मचारियों की होगी;
परंतु लिखित नोटिस द्वारा यह कारण बताने का अवसर दिया जाएगा कि नुकसान अथवा दुरूपयोग के लिए उसे जिम्मेदार क्यों न ठहराया जाए|
(2) यदि किसी सदस्य अथवा कर्मचारी को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है तो वह उस नुकसान की भरपाई आदेश जारी होने की तारीख से एक महीने के अंदर करेगा अन्यथा उस सदस्य का कर्मचारी से उस नुकसान के बराबर राशि भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल की जाएगी|
(3) यदि किसी सदस्य अथवा कर्मचारी को उपधारा (1) के तहत आदेश दिया जाता है तो वह आदेश जारी होने की तारीख से तीस दिन के अंदर सरकार को अपील कर सकता है, जिसके पास परिषद द्वारा जारी उस आदेश को सही ठहरने, उसमें संशोधन करने अथवा उसे वापस करने की शक्ति होगी;
(क) बशर्ते कि यदि कोई नुकसान अथवा दुरुपयोग चार वर्ष बीत जाने से पहले हुआ है तो उसके लिए वसूली संबंधी कोई कार्रवाही नहीं की जाएगी|
(ख) चार वर्षों की गणना करते समय परिषद द्वारा की गई पूछताछ अथवा जांच की अवधि या जिस अवधि में कार्रवाही रोक दी गई थी अथवा नुकसान की भरपाई संबंधी आदेश के विरुद्ध की गई अपील जिस अवधि में लंबित रही, उसे नहीं गिना जाएगा|
110. परिषद अथवा विपणन समिति के अध्यक्ष आदि सार्वजनिक कर्मचारी होंगे - परिषद के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, सचिव तथा अन्य अधिकारी और विपणन समिति के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सदस्य, सचिव तथा अन्य अधिकारी भारतीय दंड संहिता 1860 (1860 का 45) की धारा 21 के अर्थ में “सरकारी जनसेवक” माने जाएंगे|
111. सूचना के अभाव में मुकदमा न चलाया जाना – (1) परिषद अथवा किसी विपणन समिति अथवा उसके किसी सदस्य, अधिकारी या कर्मचारी या परिषद किसी विपणन समिति, सदस्य अधिकारी, अथवा कर्मचारी के निर्देशानुसार कार्य कर रहे किसी व्यक्ति के विरुद्ध इस अधिनियम के तहत सदस्य अथवा कर्मचारी के रूप में अच्छी नियत से किए गए अथवा कराए गए किसी कार्य के लिए दो महीने की अवधि तक लिखित रूप में नोटिस के बिना कोई मुकदमा अथवा कानूनी कार्रवाही, प्रारंभ नहीं की जाएगी| नोटिस में कार्यवाही का कारण, वादी का नाम व निवास का पता तथा उसके द्वारा मांगी गई छूट का उल्लेख होगा और उसे परिषद अथवा वितरण समिति के मामले में उसके कार्यालय में भेजा जाएगा तथा उपरोक्त सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी या व्यक्ति के मामले में उसे दिया जाएगा या उसके कार्यालय में भेजा जाएगा अथवा उसके निवास पर दिया जाएगा तथा इस बात को रिकॉर्ड किया जाएगा कि वह नोटिस उसे दे दिया गया है अथवा उसके कार्यालय अथवा निवास पर छोड़ दिया गया है|
(2) कार्यवाही के कथित कारण की घटना के तारीख से छ: महीने के अंदर-अंदर न चलाए जाने वाला प्रत्येक मुकदमा खारिज कर दिया जाएगा|
(3) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी राहत अधिनियम 1963 (1963 का 47) की धारा (38) के तहत उपधारा (1) के तहत अपेक्षित नोटिस दिए बिना भी न्यायालय की अनुमति से मुकदमा चलाया जा सकेगा परंतु न्यायालय, परिषद अथवा विपणन समिति या उपधारा (1) में उल्लिखित अन्य किसी व्यक्ति, जैसी भी स्थिति हो, को सुने जाने का समुचित अवसर प्रदान किए बिना किसी मुकदमे में कोई छूट प्रदान नहीं करेगा|
112. मुकदमों की सुनवाई – (1) इस अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए गए किसी नियम अथवा भी विनियम या विधि के तहत किसी अपराध की सुनवाई मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के न्यायालय से नीचे के न्यायालय में नहीं की जाएगी|
(2) इस अधिनियम के तहत निदेशक अथवा इसके लिए प्राधिकृत अन्य किसी अधिकारी या परिषद अथवा विपणन समिति, जैसी भी स्थिति हो, द्वारा प्राधिकृत सचिव अथवा अन्य किसी से व्यक्ति को छोड़कर अन्य किसी के द्वारा कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा|
(3) कोई न्यायालय इस अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए गए किसी नियम, आदेश, विनियम अथवा उपविधि के तहत किसी अपराध के लिए पहली नजर में उसे दोषी नहीं मानेगा जब तक की निदेशक, अधिकारी, सचिव अथवा उपधारा (11) में उल्लिखित व्यक्ति की जानकारी में कथित दोष आने की तारीख से छ: महीने के अन्दर-अन्दर उसकी शिकायत ना की गई हो|
(4) न्यायालय द्वारा किसी दोषी से प्राप्त जुर्माना राशि विपणन विकास निधि अथवा बाजार निधि, जैसी भी स्थिति में हो में जमा की जाएगी|
113. सरकार, परिषद विपणन समिति तथा अन्यों को देय राशि की वसूली – (1) परिषद अथवा किसी विपणन समिति से सरकार को देय राशि भू-राजस्व बकाया के रूप में वसूल की जाएगी|
(2) धारा 116 की उपधारा (3) के प्रावधानों के अधीन रहते हुए परिषद अथवा विपणन समिति को इस अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए गए किसी नियम, विनियम अथवा विधि के तहत प्रभार, लागत, खर्च, शुल्क, किराए अथवा अन्य किसी कार्य के लिए देय राशि अथवा धारा 60 की उपधारा (1) के तहत उल्लिखित कृषि उत्पाद की बाजार क्षेत्र में बिक्री के लिए किसान को देय राशि जो इस अधिनियम में उल्लिखित के अनुसार अदा नहीं की गई है, तो उस व्यक्ति से जिसकी ओर देय है, उसी तरीके से वसूल की जाएगी जैसे मानो यह भू-राजस्व बकाया हो|
(3) यदि धारा 116 की उपधारा (3) के अर्थ में यह विवाद उत्पन्न होता है कि किसान को कोई राशि देय है अथवा नहीं तो उसका निर्णय धारा 83 में उल्लिखित विधि के अनुसार किया जाएगा तथा उस उद्देश्य के लिए धारा 83 तथा उसके तहत बनाए गए नियमों, विनियमनों अथवा उपविधि के प्रावधान इस उपधारा के तहत विवाद के निपटारे के उद्देश्य के लिए यथा संभव लागू होंगे|
114. शक्तियां प्रत्यायोजित करने की सरकार की शक्ति - सरकार अधिसूचना द्वारा तथा ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए, यदि कोई हो, जिन्हें वह लागू करना उचित समझे, इस अधिनियम के प्रावधानों में से किसी के द्वारा अथवा तहत प्राप्त शक्तियों में से सभी अथवा किसी भी शक्ति को परिषद अथवा किसी अन्य अधिकारी अथवा अधिसूचना में उल्लिखित व्यक्ति को प्रत्यायोजित कर सकती है|
115. परिषद अथवा विपणन समिति आदि को अधिनियमों के उपबंधों से छूट की शक्ति – (1) सरकार सामान्य अथवा विशेष आदेश सरकारी राजपत्र में प्रकाशित कर परिषद अथवा किसी विपणन समिति या किसी वर्ग के व्यक्तियों को इस अधिनियम तथा इसके तहत बनाए गए किसी नियम, विनियम अथवा उपविधि के उपबंधों से छूट दे सकती है और इसी प्रकार से यह निर्देश दे सकती है कि इस अधिनियम के उपबंध परिषद अथवा किसी विपणन समिति या किसी वर्ग के लोगों पर आदेश में उल्लिखित ऐसे संशोधनों के साथ लागू होंगे जिनसे उन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े|
(2) उपधारा (1) के तहत बनाए गए सभी आदेश यथाशीघ्र दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखे जाएंगे|
(3) सरकार सामान्य अथवा विशेष आदेश सरकारी राजपत्र में प्रकाशित कर निर्देश दे सकती है, कि इस अधिनियम के तहत बनाए गए कोई नियम, विनियम अथवा उपविधि, परिषद अथवा किसी विपणन समिति या किसी वर्ग के लोगों पर आदेश में उल्लिखित ऐसे संशोधनों के साथ लागू होगा जिससे उस पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े|
116. नियम बनाने की शक्तियां – (1) सरकार अधिसूचना द्वारा इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम बना सकती है;
(2) विशेषकर तथा उपरोक्त शक्ति पर बिना कोई प्रतिकूल प्रभाव डालें यह नियम निम्नलिखित मामलों में सभी अथवा किन्हीं के लिए व्यवस्था करेंगे :-
(क) धारा 36 की उपधारा(1) के खंड (क) के तहत किसानों के प्रतिनिधियों की योग्यताएं;
(ख) धारा 36 की उपधारा(1) के खंड (ख) के तहत व्यापारियों के प्रतिनिधियों की योग्यताएं;
(ग) धारा 38 के तहत विपणन समिति के सदस्यों के चुनाव की विधि जिसमें ऐसे चुनाव से संबंधित अन्य आकस्मिक मामले भी शामिल हैं;
(घ) धारा 44 और 46 के तहत विपणन समिति के अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष के कार्यकाल तथा उनकी सेवा संबंधी अन्य शर्टें;
(ङ) धारा 54 की उपधारा (2) के तहत विपणन समितियों के कर्तव्यों तथा उस उपधारा के खंड (ट) के तहत नियमों में उल्लिखित कृषि उत्पाद के श्रेणीकरण को विकसित करना;
(च) धारा 62 के तहत विपणन समिति द्वारा लिए जाने वाले बाजार शुल्क की विधि;
(छ) धारा 72 की उपधारा (2) के तहत विपणन समिति द्वारा अन्य विपणन समिति से ऋण प्राप्त करने की शर्तें;
(ज) धारा 74 के उपधारा (2), धारा 123 के उपधारा (2) के तहत अपील करने की विधि तथा अवधि;
(झ) लाइसेंस-फार्म तथा लाइसेंस जारी अथवा नवीनीकरण से संबंधित शर्तें जिनमे धारा 80 के तहत प्रत्येक लाइसेंस के लिए दिए जाने वाला शुल्क भी शामिल है;
(ञ) धारा 80 के तहत कृषि उत्पाद की तौलाई तथा ढुलाई के लिए दिए जाने वाले शुल्क;
(ट) धारा 82 की उपधारा (1) के तहत की जाने वाली अपील की विधि;
(ठ) उपसमितियों का गठन, मध्यस्ता की नियुक्ति की विधि तथा विवादों के निपटारे के लिए पार्टियों द्वारा दिए जाने वाले शुल्क, यदि कोई हो, उपसमितियों अथवा मध्यस्थों द्वारा विवादों के निपटारे के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया तथा वह अवधि जिनमें धारा 83 के तहत उपसमिति अथवा मध्यस्थता के निर्णय के विरुद्ध अपील की जा सके;
(ड) धारा 84 की उपधारा (3) या धारा 88 के उपधारा (2) जैसी भी स्थिति हो, के तहत विपणन विकास निधि अथवा बाजार निधि में राशि जमा करने अथवा निवेश करने की विधि;
(ढ) परिषद अथवा विपणन समिति के सदस्यों को देय यात्रा तथा अन्य भत्ते;
(ण) विपणन समिति अथवा परिषद के खर्च से आंशिक अथवा समग्र रूप में किए जाने वाले निर्माण की योजना तथा आकलन तैयार करना तथा ऐसी योजना व आकलनों को अनुमोदित करना;
(त) विपणन विकास निधि अथवा बाजार निधि से अदायगी की विधि, इसके लेखे रखने तथा लेखा-परीक्षा, आय तथा व्यय के बजट आकलनों को तैयार करने तथा वार्षिक प्रशासनिक रिपोर्ट तैयार करने की विधि;
(थ) विपणन समिति द्वारा अपेक्षित विवरण व्यापारी अथवा कमीशन एजेंट द्वारा प्रस्तुत करने का समय तथा इसकी विधि;
(द) अपेक्षित अथवा निर्धारित किए जाने वाला अन्य कोई मामला|
(3) इस धारा के तहत बनाए गए नियम में यह व्यवस्था होगी कि यदि खरीदार धारा 61 की उपधारा (6) के अनुसार अपेक्षित भुगतान नहीं करता है तो उसे बिक्री की तारीख से भुगतान की तारीख तक उस दर से ब्याज देना होगा जो उस नियम में उल्लिखित की जाए| जोकि बैंकिंग संस्थानों द्वारा असुरक्षित ऋण के लिए निर्धारित अधिकतम ब्याज दर से अधिक नहीं होगी| यदि भुगतान कृषि उत्पाद की बिक्री की तारीख से तीस दिन के अंदर नहीं किया जाता है तो विपणन समिति खरीददार से धारा 113 में दी गई विधि के अनुसार मूल तथा ब्याज वसूल करेगी|
(4) इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत बनाए गए किसी भी नियम में यह व्यवस्था होगी कि उसका उल्लंघन करने तथा दोषी होने पर जुर्माना किया जाएगा जोकि पांच हजार रु० तक हो सकता है|
(5) इस अधिनियम के तहत बनाया जाने वाला प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र विधानसभा के समय उस समय जब वह सत्र में हो, कुल मिलाकर तीस दिन की कालावधि के लिए, जो एक सत्र में या दो क्रमवृत्ति सत्रों में समाविष्ट हो सकेगी, रखा जाएगा और यदि उस सत्र के जिसमें वह रखा गया हो, या ठीक परवर्ती सत्र के अवसान के पूर्व यदि विधानसभा उस नियम में कोई आशोधन करने के लिए सहमत हो जाए या विधानसभा इस बात के लिए सहमत हो जाए कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए जो तत्पश्चात, यथास्थिति यह नियम ऐसे आशोधित रूप में ही प्रभावशाली होगा या उसका कोई प्रभाव नहीं होगा किंतु इस प्रकार का कोई आशोधन या प्रभावहीन उस नियम के अधीन पहले की गई किसी बात की विधि मान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होगा|
117. अधिनियम के उपबंधों को लागू करने के लिए विनियम बनाने की शक्ति – (1) सरकार के पूर्व अनुमोदन से परिषद, अधिसूचना द्वारा विनियम बन सकती है जो कि इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए बनाए गए नियमों से असंगत नहीं होंगे|
(2) विशेषकर तथा उपरोक्त शक्ति पर बिना कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले ये विनियम निम्नलिखित सभी अथवा किसी मामले के लिए व्यवस्था करेंगे:-
(क) परिषद तथा विपणन समिति की भर्ती-प्रक्रिया, कर्मचारियों के वेतनमान तथा अन्य सेवा-शर्तें;
(ख) परिषद की बैठकों की कर्येवाही का नियमन;
(ग) परिषद की शक्तियां इसके उपाध्यक्ष या उसके अन्य किसी अधिकारी को प्रत्यायोजित करना;
(घ) विपणन समिति के कर्तव्य तथा शक्तियों का उपसमिति को प्रत्यायोजन;
(ङ) विपणन सेवा के गठन की विधि, उसमें भर्ती तथा योग्यताएं, नियुक्ति, पदोन्नति, वेतनमान, अवकाश तथा इसका नकदीकरण, ऋण, पेंशन, ग्रेच्युटी, निधियों में अंशदान, प्राधिकृत अस्पतालों में दाखिल होने की स्थिति में वास्तविक खर्च की प्रतिपूर्ति, बर्खास्तगी, विभागीय जांच तथा दण्ड, अपील व इसके सदस्यों की अन्य सेवा-शर्तें|
118. उपविधियां बनाने के लिए विपणन समिति की शक्ति – (1) इस अधिनियम के प्रावधानों तथा इसके तहत बनाए गए नियमों के अधीन रहते हुए विपणन समिति अपने प्रबंधन के तहत बाजार क्षेत्र के बारे में निम्नलिखित के लिए नियम बना सकती है:-
(1) अधिनियम तथा उसके तहत बनाए गए नियमों के उद्देश्यों के लिए कृषि उत्पाद फुटकर बिक्री की मात्रा निर्धारित करना;
(2) विपणन समिति की बैठकों, गणपूर्ति तथा प्रक्रिया सहित अन्य कार्यकलापों का नियमन;
(3) बाजार में व्यापार की शर्तें;
(4) अधिकारियों तथा कर्मचारियों को शक्तियों, कर्तव्यों तथा कार्यों का प्रत्यायोजन;
(5) उपसमिति, यदि कोई हो, को शक्तियों, कर्तव्यों तथा कार्यों का प्रत्यायोजन;
(6) व्यक्तियों के लिए प्रावधानों जिनके द्वारा दस्तावेज की प्रतियाँ तथा विपणन समिति की लेखा-पुस्तिकाओं में इंद्राज प्रमाणित किया जाएं तथा प्रत्येक प्रति देने तथा ऐसे दस्तावेज तथा लेखा पुस्तिकाओं का निरीक्षण करने के लिए, अधिनियम, नियम तथा विनियमों के तहत कार्यवाहियों के उद्देश्य हेतु लिए जाने वाले प्रभार, बाजार में बिक्री प्रक्रिया तथा वाउचर आदि का अनुरक्षण;
(7) बाजार में बिक्री प्रक्रिया तथा बिक्री से जुड़े अन्य वाउचर आदि का अनुरक्षण तथा जारी करना और वाउचर, बिल, रसीद आदि व्यापारियों, कमीशन एजेंट, दलालों तथा बाजार में कार्य कर रहे अन्य व्यक्तियों को जारी करने की विधि;
(8) अन्य कोई मामला, जिसके लिए इस अधिनियम के तहत उपनियम बनाए जाने अपेक्षित हो या बाजार छेत्र इस अधिनियम के प्रावधानों तथा इसके तहत बनाए गए नियमों को प्रभावी रूप से कार्यान्वित करने के लिए|
(2) उपधारा (1) के तहत बनाया गया कोई भी उपनियम तब तक प्रभावित नहीं होगा जब तक कि वह निदेशक द्वारा पुष्टि करने के बाद सरकारी राजपत्र में प्रकाशित न करा दिया जाए|
(3) उपविधि बनाते समय विपणन समिति यह निर्देश दे सकती है कि किसी उपविधि का उल्लंघन करने पर इसके द्वारा जुर्माना किया जा सकता है जो की पहली बार में 5,000/- रु० तक हो सकता है तथा यदि उल्लंघन नियंत्रण किया जा रहा है तो यह जुर्माना पहली बार किए गए जुर्माने के बाद से रु० 50/- प्रतिदिन होगा|
स्पष्टीकरण:- इस उपधारा के उद्देश्यों के लिए विपणन समिति इस बात के होते हुए भी जुर्माना कर सकती है कि उस कार्य के लिए जिसके लिए उपविधियों के तहत जुर्माना किया गया है उसके लिए अपराधिक मामला चलाया जा रहा है|
(4) इस धारा में किसी बात के होते हुए यदि निदेशक को ऐसा प्रतीत होता है कि उपनियमों में संशोधन अथवा उपनियम या किसी उपनियम को समाप्त किया जाना विपणन समिति के हित में आवश्यक या अपेक्षित है तो वह आदेश द्वारा विपणन समिति को आदेश में उल्लिखित अवधि में संशोधन, नया उपनियम बनाने अथवा समाप्त करने के लिए निर्देश दे सकते हैं|
(5) विपणन समिति यदि उपधारा 4 के तहत जारी किए गए आदेश का निर्धारित अवधि में पालन करने में असमर्थ रहती है तो निदेशक यह संशोधन, खंडन अथवा नया उपनियम बना देंगे तथा उसकी एक प्रमाणित प्रति विपणन समिति को भेज देंगे|
(6) विपणन समिति उपधारा (5) उल्लिखित प्रमाणित प्रति जारी होने की तारीख से तीस दिन के अंदर उस आदेश के विरुद्ध सरकार को अपील कर सकेगी जिसका निर्णय अंतिम तथा समिति को मान्य होगा|
(7) कोई उपनियम अथवा उपनियम का खंडन या इसमें संशोधन तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक की निदेशक इसकी पुष्टि करके सरकारी राजपत्र में अधिसूचित न कर दे|
119. अनुसूची में संशोधन करने की सरकार की शक्ति – सरकार, परिषद से विचार विमर्श करके अधिसूचना द्वारा अनुसूची में कृषि उत्पाद की किसी मद को हटा अथवा शामिल कर सकती है तथा अन्य किसी तरीके से संशोधन कर सकती है|
120. वसूली न किए जाने योग्य शुल्क आदि बट्टे खाते डालने की शक्ति - जब यह पाया जाए कि परिषद तथा विपणन समिति को देय कोई राशि वसूली नहीं जा सकती या जब परिषद तथा विपणन समिति की राशि या भंडार या अन्य संपत्ति को धोखे या किसी भी व्यक्ति की लापरवाही अथवा अन्य किसी कारण से नुकसान हुआ है और वह राशि अथवा संपत्ति वसूली योग्य नहीं है तो यह तथ्य परिषद अथवा विपणन समिति, जैसी भी स्थिति हो, की जानकारी में लाया जाएगा तथा परिषद, निदेशक तथा विपणन समिति की पूर्व अनुमति से आदेश द्वारा उस राशि अथवा संपत्ति की कीमत को नुकसान के रूप में बट्टे खाते डाल सकेगी;
परंतु विपणन समिति के मामले इस प्रकार की कोई देय राशी अथवा संपत्ति की कीमत 100/- रु० से अधिक है तो वह आदेश निदेशक के अनुमोदन के बिना प्रभावी नहीं होगा|
121. संशोधन - इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी सरकार के पास परिषद अथवा उसके किसी अधिकारी द्वारा इस अधिनियम के तहत दिए गए आदेश को वापस करने अथवा संशोधन करने की शक्ति होगी यदि वह इस बात से संतुष्ट है कि ऐसा आदेश इस अधिनियम के प्रावधानों अथवा इसके तहत बनाए गए नियम, विनियम अथवा उपनियम के अनुसार नहीं है|
122. दंड की शक्ति – (1) निदेशक के पूर्व अनुमोदन से:-
(क) विपणन समिति, अथवा
(ख) इसके अध्यक्ष, यदि विपणन समिति की ओर से संकल्प द्वारा प्राधिकृत किए गए हैं, किसी व्यक्ति जिसके विरुद्ध इस बात की पर्याप्त शंका है कि उसने इस अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए गए नियम, विनियम अथवा उपनियम के तहत अपराध किया है, उससे उस अपराध के जुर्माने के रूप में राशि स्वीकार कर सकते हैं|
(2) उस समय लागू अन्य किसी विधि में उउल्लिखित किसी बात के होते हुए भी वह धनराशि समिति अथवा इसके अध्यक्ष, जैसी भी स्थिति हो, को भुगतान के बाद संधिग्ध व्यक्ति यदि वह हिरासत में है तो उसे छोड़ दिया जाएगा उसके विरुद्ध कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी|
123. जुर्माना करने की विपणन समिति तथा सचिव की शक्ति – (1) विपणन समिति अथवा उसके सचिव को बाजार में कार्य करें किसी व्यक्ति अथवा किसान या खरीददार पर किसी उपनियम का उल्लंघन करने के लिए संबंधित व्यक्ति को सुनवाई का समुचित अवसर प्रदान करने के बाद 500/- रु० तक जुर्माना करने की शक्ति होगी|
(2) उपधारा (1) के तहत जारी किए गए किसी आदेश के विरुद्ध अपील परिषद उपाध्यक्ष को निर्धारित विधि तथा समय में की जा सकेगी|
124. निरसन तथा बचाव - (1) दिल्ली कृषि उत्पाद विपणन (विनियमन) अधिनियम 1976 (1976 का 87) जिसे इसके बाद उक्त अधिनियम कहा जाएगा को एतद द्वारा निरस्त कर दिया गया है|
परंतु ऐसे निरसन से पहले से चल रहे कार्यकलापों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा तथा किया गया कोई कार्य तथा कार्यवाही (जिसमें नियुक्ति, प्रत्यायोजन, घोषणा, अधिसूचना, आदेश, नियम, विनियम, निर्देश अथवा जारी किए गए नोटिस, बनाए गए उपनियम, स्थापित की गई विपणन समिति, जारी की गए लाइसेंस, लिया गया शुल्क, लगाए गए यंत्र, स्थापित अथवा गठित कोई निधि भी शामिल है) जो उक्त अधिनियम के द्वारा अथवा उनके प्रावधानों के तहत की गई है, यदि वह इस अधिनियम के प्रावधानों से असंगत नहीं है तो वह कार्रवाही इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत की गई समझी जाएगी तथा वह तब तक जारी रहेगी जब तक कि उसे कुछ करके अथवा इस अधिनियम के तहत कार्रवाही करके समाप्त न किया जाए|
(2) कोई क्षेत्र अथवा स्थान जिसे बाजार क्षेत्र तथा किसी स्थान या बाजार को जिसे नियम के तहत बाजार घोषित कर दिया गया है वह समाप्ति के बाद इस अधिनियम के लागू होने पर इस अधिनियम के तहत घोषित बाजार क्षेत्र अथवा बाजार समझा जाएगा| उस बाजार क्षेत्र के लिए गठित विपणन समिति जो इस अधिनियम के लागू होने से एकदम पहले कार्य कर रही थी, इस अधिनियम में किसी से बात के होते हुए भी उस बाजार क्षेत्र के लिए इस अधिनियम के तहत गठित समिति समझी जाएगी, और यदि घोषणा अथवा अधिसूचना में उल्लिखित कृषि उत्पाद भी तथा उस विपणन समिति के सभी सदस्य सरकार द्वारा धारा 35 की उपधारा (2) के तहत नामित किए गए सदस्य समझे जाएंगे|
(3) उपरोक्त समाप्ति के बारे में कोई संदर्भ अथवा उसके किसी प्रावधान अथवा अधिकारी, पदाधिकारी या व्यक्ति जो उसके तहत कार्य कर रहा हो, के संबंध में उस समय लागू किसी विधि अथवा दस्तावेज के संबंध में अपेक्षित होने पर उस अधिनियम के अनुरूप-प्रावधानों अथवा अनुरूप अधिकारी, प्राधिकारी या इस अधिनियम के तहत कार्य कर रहे अनुरूप व्यक्ति, जैसी भी स्थिति हो, के संदर्भ में समझा जाएगा तथा अनुरूप अधिकारी, प्राधिकारी तथा व्यक्ति, जैसा भी स्थिति हो विधि, अथवा दस्तावेज के तहत कार्य करेगा|
(4) इस धारा में विशेष मामलों के उल्लेख से सामान्य खंड अधिनियम 1897 (1897 का 10) की धारा 6 का इस अधिनियम पर कार्यान्वयन प्रभावित नहीं होगा, जैसे दिल्ली किसी उत्पाद विपणन (विनियमन) अधिनियम 1976 (1976 का 87) इस अधिनियम द्वारा समाप्त कर दिया गया है|
125. कठिनाई के समाधान की शक्ति - इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने में यदि कठिनाई उत्पन्न होती है तो सरकार आवश्यकतानुसार आदेश द्वारा जो कि इस अधिनियम के प्रावधानों से असंगत नहीं होगा, कोई कदम उठा सकती है जो उसे कठिनाई का समाधान करने की दृष्टि से आवश्यक प्रतीत हो;
परंतु ऐसा कोई आदेश, इस अधिनियम के लागू होने के दो वर्ष बीत जाने के बाद नहीं किया जाएगा|